पुणे के व्यक्ति की चौथी बार सफलतापूर्वक हुई बेंटॉल हार्ट सर्जरी, अमृता हॉस्पिटल में मरीज़ को इस हार्ट सर्जरी से मिला नया जीवन


दिल्ली, सितंबर 2025: पुणे के 52 वर्षीय व्यक्ति को हाल ही में चौथी ओपन-हार्ट सर्जरी के सफल होने के बाद नया जीवन मिला है। यह सफलता अमृता हॉस्पिटल, फरीदाबाद में किए गए हाई रिस्क वाले ऑपरेशन की वजह से संभव हुई।

अमृता हॉस्पिटल में यह सर्जरी 12 अगस्त को हुई। यहां के सीनियर कंसल्टेंट और एडल्ट कार्डियक सर्जरी प्रमुख डॉ. समीर भाटे ने बताया , “हमने कई चुनौतियों का सामना किया। हर कदम मुश्किल था क्योंकि पहले हो चुके ऑपरेशन्स के कारण हृदय की संरचना बहुत बदल गई थी। डिसेक्शन के दौरान एक कोरोनरी धमनी चोटिल हो गई। हमें सर्जरी के दौरान अलग-अलग समस्याओं के अनुसार ध्यानपूर्वक प्रक्रियाओं को अंजाम देना पड़ा।” घंटों ऑपरेशन टेबल पर रहने के बाद सर्जिकल टीम को सर्जरी के बाद ज्यादा खून बहने का खतरा था।

डॉ भाटे ने आगे बताते हुए कहा, “हमने मरीज की छाती 24 घंटे के लिए खुला रखने और सावधानीपूर्वक पैक करने का फैसला किया और अगले दिन इसे बंद किया। यह तकनीक मैंने अपने पिता से सीखी थी। ये सामान्य प्रक्रिया नहीं हैं, लेकिन कभी-कभी यही तरीका ऑपरेशन के बाद खून के बहाव को कम करने में मदद करता है। यह तरीका ऐसा होता है जिससे खून जमा होने से हृदय पर दबाव नहीं पड़ता है और ब्लड ट्रांसफ्यूजन की जरूरत भी कम होती है।”

मरीज आयुष (बदला हुआ नाम) को लंबे समय से रूमैटिक हृदय की बीमारी थी। इस बीमारी ने धीरे-धीरे उनकी माइट्रल और एओर्टिक वाल्व को नुकसान पहुंचाया था। उनके हृदय का इलाज 2002 में शुरू हुआ। तब डॉ. समीर भाटे के पिता वरिष्ठ कार्डियोवैस्कुलर सर्जन डॉ. सुधीर भाटे ने पुणे के एक प्राइवेट हॉस्पिटल में दोनों वाल्व को बायोलॉजिकल वाल्व से बदला। आयुष ने ये वाल्व इसलिए चुने क्योंकि वह ब्लड थिनर्स नहीं लेना

चाहते थे। मेकेनिकल वाल्व के साथ ब्लड थिनर्स जरूरी होते हैं।

एक दशक बाद 2012 में बदले गए वाल्व खराब हो गए थे और उन्हें फिर से भाटे परिवार ने बदला। 2022 में आयुष की तीसरी सर्जरी हुई। इस बार माइट्रल वाल्व को मेकेनिकल वाल्व से बदला गया। यह ऑपरेशन डॉ. समीर भाटे ने पुणे में किया। दिसंबर 2024 तक उन्हें फिर से लक्षण दिखने लगे। ये लक्षण इस बार बायोलॉजिकल एओर्टिक वाल्व के खराब होने की वजह से नज़र आए।

मरीज आयुष ने कहा , “पुणे में कई डॉक्टरों ने मेरा ऑपरेशन बहुत ज्यादा खतरा होने के कारण करने से मना कर दिया। मुझे बताया गया था कि चौथी सर्जरी के बाद मेरी जान बचना मुश्किल हो सकता है। लेकिन भगवान की कृपा से मुझे जीवन में दूसरा मौका मिला। मैं बेहद आभारी हूँ।”

डॉ. सुधीर भाटे ने कहा कि उनके बेटे डॉ. समीर को विश्वास था कि अमृता हॉस्पिटल में एनेस्थेटिस्ट, पर्फ्यूज़निस्ट और नर्सों की कुशल टीम के साथ सर्जरी सुरक्षित रूप से की जा सकती है। आयुष को 11 अगस्त को  भर्ती किया गया और पूरी तरह ठीक होने के बाद 21 अगस्त को डिस्चार्ज किया गया। वह 23 अगस्त को पुणे लौट गए।

डॉ सुधीर ने बताया, “मरीज में हृदय की बीमारी का इतिहास दो दशकों से ज्यादा का रहा का है। पहली सर्जरी में दोनों वाल्व बदले गए थे। दस साल बाद वह टिशू वाल्व खराब हो गए। 2022 में माइट्रल वाल्व फिर से फेल हो गया और उसे मेकेनिकल वाल्व से बदला गया। 2024 तक उनमें फिर से लक्षण नजर आने लगे।”

रीडू हृदय सर्जरी तकनीकी रूप से बहुत चुनौतीपूर्ण होती है। डॉ. समीर भाटे ने अब तक 138 रीडू हृदय सर्जरी की हैं। इनमें 4 तीसरी बार रीडू सर्जरी भी उनके द्वारा की गई हैं। सर्जरी से संबंधित मुख्य बातें: दुर्लभ जटिलताओं वाला केस चौथी बार की गई रीडू सर्जरी: एओर्टिक बायोलॉजिकल वाल्व खराब हो गया था, इसलिए मेकेनिकल वाल्व लगाने की सलाह दी गई। सिर्फ एओर्टिक वाल्व बदलने की बजाय टीम को बेंटाल सर्जरी करनी पड़ी। बेंटाल सर्जरी एक जटिल ऑपरेशन होता है। इसमें एओर्टिक वाल्व और एसेन्डिंग एओर्टा को बदलना और कोरोनरी आर्टरीज़ को फिर से जोड़ना होता है। असामान्य तरीका: पहले हुए ऑपरेशन्स के कारण असामान्य संरचना से स्टैंडर्ड बायपास शुरू करना मुश्किल था। सर्जनों ने पेट की धमनियों और नसों को खोलकर कार्डियोपल्मोनरी बायपास शुरू करने का रास्ता बनाया।

ऑपरेशन के दौरान धमनी में चोट: ऑपरेशन के दौरान हृदय की एक धमनी फट गई और इसे कोरोनरी आर्टरी बायपास के जरिए ठीक किया गया। ओपन चेस्ट रणनीति: ज्यादा ख़ून के बहने के खतरे के कारण छाती को 24 घंटे के लिए खुला रखा गया और सावधानीपूर्वक पैक किया गया। उसके बाद आखिर में बंद किया गया। यह केवल एक हॉस्पिटल की सर्जिकल सफलता नहीं है, बल्कि यह एक राष्ट्रीय उपलब्धि है। यह सफलता कार्डियक एनेस्थेटिस्ट्स की टीम- डॉ. धीरज अरोड़ा, डॉ. श्वेता पांसे, डॉ. राहुल मारिया, डॉ. राजेश पांडे और डॉ. प्रभात चौधरी के सहयोग से संभव हुई है। 

निम्नलिखित टीम के अन्य सदस्यों ने भी इस केस को सफल बनाने में महत्वपूर्ण भूमिका निभाई। टीम के सदस्य: नेफ्रोलॉजी- डॉ. उर्मिला आनंद, डॉ. हर्षा इंफेक्शियस डिजीज़- डॉ. रोहित गर्ग यूरोसर्जन- डॉ. मनव सूर्यवंशी पर्फ्यूज़निस्ट्स- रवि देशपांडे, फैसल जैन, थुषारा मोहन पीए- रुहुल खान शानदार सर्जिकल ओटी स्टाफ नर्सें, समर्पित आईसीयू नर्सें और वार्ड नर्सें

पुणे के व्यक्ति की चौथी बार सफलतापूर्वक हुई बेंटॉल हार्ट सर्जरी, अमृता हॉस्पिटल में मरीज़ को इस हार्ट सर्जरी से मिला नया जीवन  पुणे के व्यक्ति की चौथी बार सफलतापूर्वक हुई बेंटॉल हार्ट सर्जरी, अमृता हॉस्पिटल में मरीज़ को इस हार्ट सर्जरी से मिला नया जीवन Reviewed by admin on September 19, 2025 Rating: 5
Powered by Blogger.